सिर्फ बातों से काम नहीं बनेगा वरन बेहतर समाज हेतु कर्तव्यनिष्ठ परक व्यवहार को कार्य परिणीति में बदलना होगा
बेहतर समाज के लिए हम सबको सोचना होगा, इस महामारी के दौर पे सिर्फ बातें नहीं, काम करना होगा !
देश में हर क्षेत्र में लगातार काम करने की ज़रूरत है, हम पहले उन छोटी छोटी चीज़ों पे ध्यान दे जिस चीज़ों से हम जुड़े है जैसे की हमारे किसान और मजदूर। आप अगर नजर घुमा कर देखिए तो आप ये देखेंगे की बुनियादी सुविधाएं भी पूर्ण रूप से उपलबद्ध नहीं है जैसे की पहने के लिए कपड़ें नहीं है, घर में पूर्ण रूप से पेट भर कर खाने की सुविधा नहीं है और भी कई तरह की समस्या हैं। जिनकी बदौलत हमें पेट भरकर खाना मिलता है और अच्छे बड़े लक्ज़री घरों में रहना पसंद करते हैं, अगर ये काम करना बंद कर दे तो आप अंदाज लगा ले की हमारी स्थिति क्या होगी। कितने लोग ये कहते है की मैं आपकी मदद करूँगा, किसानों और मजदूरों की बेहतरी के लिए काम करना चाहता हूं।या मैं आपको कुछ सहयोग देना चाहता हूँ।शायद बहुत कम लोग इस चीज़ों में खरे उतरेंगे ।जैसा की आपसब लोग देख रहे है भारत में तेजी के साथ आर्थिक स्थिति और राजनीतिक स्थिति में बदलाव हो रहे हैं। जब भी आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के तौर तरीके में बदलाव होते हैं तो उसका सीधा असर हमारे समाज पर पड़ता है और ऐसे में हमारी जो समाज के प्रति संरचनाएं हैं वो पूरी तरह से टूट जाती हैं। इस तरीके से संरचनाएं के टूटने पर उसका असर लोगों की मानसिकता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
लेकिन क्या इस तरह के जो सामाजिक बदलाव हो रहा, वो सही है हमारे लिए?
जिन हालातों में हम सब रह रहे हैं क्या उससे हम संतुष्ट हैं?
क्या हमारे समाज के हर तबके तक वो सारी चीज़ें पहुंच जा रही हैं जिसकी उन्हें उम्मीद है? हमें इसे गंभीर रूप से सोचना की ज़रूरी है।
मेरी अपील आप सब से यही है की सबसे पहले आप अपना सोच बदले महिलाओं को पूरी तरह से छूट दी जाए हर काम में उन्हें आगे बढ़ने में मदद कीजिए आप सब लोग। उन परिवारों के बारे में भी सोचिए जो अभी इस महामारी के दौर पे पूरी तरह से बिखर गए हैं, और उनकी सेवा में जितना हो सकता अपने तरफ से योगदान के भागीदारी बने जब तक की उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो जाती है।
अराधना कुमारी
(समाज सेविका एवं प्रवक्ता)