महिलाओं की समाज में भूमिका एवं नारी शिक्षा का महत्व: अराधना कुमारी

समाज सेविका एवं प्रवक्ता आराधना कुमारी का मानना है की एक सभ्य समाज का निर्माण उस देश के शिक्षित नागरिकों द्वारा होता है, और नारी इस कड़ी का एक अहम हिस्सा होती है। परिवार की एक छोटी-छोटी इकाइयां मिलकर एक समाज का गठन करती हैं, और परिवार की केंद्र बिंदु नारी ही होती है। हमेशा ध्यान रखें यदि एक नारी शिक्षित होती है तो एक परिवार शिक्षित होता है, और जब एक परिवार शिक्षित होता है तो पूरा राष्ट्र शिक्षित होता है। जैसा कि आप देख रहे है हमारे समाज में महिला अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अहम किरदार निभाती है। अपनी सभी भूमिकाओं में निपुणता दर्शाने के बावजूद आज के आधुनिक युग में महिला पुरुष से पीछे खड़ी दिखाई देती है। आखिर क्यों? पुरुष प्रधान समाज में महिला की योग्यता को आदमी से कम देखा जाता है। सरकार द्वारा जागरूकता फ़ैलाने वाले कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद महिला की जिंदगी पुरुष की जिंदगी के मुक़ाबले काफी जटिल हो गयी है। महिला को अपनी जिंदगी का ख्याल तो रखना ही पड़ता है साथ में पूरे परिवार का ध्यान भी रखना पड़ता है। वह पूरी जिंदगी बेटी, बहन, पत्नी, माँ, सास, और दादी जैसे रिश्तों को ईमानदारी से निभाती है। इन सभी रिश्तों को निभाने के बाद भी वह पूरी शक्ति से नौकरी करती है ताकि अपना, परिवार का, और देश का भविष्य उज्जवल बना सके। अगर आप आमतौर पे सही तरीके से देखे तो महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार से ही घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा अर्थ यही है कि महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नज़रअंदाज़ करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता। महिला यह जानती है कि उसे कब और किस तरह से मुसीबतों से निपटना है। जरुरत है तो बस उसके सपनों को आजादी देने की, और मेरा ऐसा मानना है उनको आप आजादी दे कर देखिए वो हर कुछ आपके लिए कर सकती है जो एक पुरुष कर सकते है।

एक ध्यान देने वाली बात ये भी है कि अगर आप एक आदमी को शिक्षित कर रहे है तो आप सिर्फ एक आदमी को ही शिक्षित कर रहे है, पर अगर आप एक महिला को शिक्षित कर रहे है तो आप आने वाली पूरी पीढ़ी को शिक्षित और सुरक्षित करते है। आप अपने ही परिवार में देखे तो शिशु की पहली अध्यापिका या गुरु माँ होती है और जो की प्रारंभिक शिक्षा शिशु अपने घर में ग्रहण करता है वो उसे दुनिया के किसी विद्यालय में प्राप्त नहीं हो सकती। इसलिए नारी का शिक्षित होना नितांत आवश्यक है। किसी देश की नागरिक होने के नाते शिक्षा प्राप्त करना सभी का मूल अधिकार है। इसमें न ही जातिवाद और न ही लिंग के हिसाब से देखा जाए। बल्कि जरुरत है देश की प्रगति, उन्नति एवं विकास देखने की। एक कहावत भी है आप अगर मुझे सौ आदर्श माताएं देते है तो मैं आपको एक आदर्श राष्ट्र दूंगा। आप सब जो भी इस लेखनी को पढ़ रहे है, जरूर अपने समाज में एक नए बदलाव की ओर एक कदम जरूर उठाएंगे !